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शेयर व्यापार में लिखित दस्तावेज़ो पर आधारित पारंपारिक पद्धति में बड़ी मात्रा में ज़ी कार्यवाही जुड़ी होती है जिसमें समय की काफी खपत हो जाती है। यह प्रक्रिया कागज़ रूप में शेयर प्रमाणपत्र खरीदने से आरंभ होकर उन प्रमाणपत्रों को खरीददार के नाम पर पृष्ठांकित करने पर समाप्त होती है। इसमें खराब सुपुर्दगी, जालसाजी और नकली प्रमाण-पत्र खराब रख-रखाव के कारण प्रमाण-पत्र का फटना/खराब होना, प्रमाण-पत्रों का खोना, डाक विभाग द्वारा बड़ी मात्रा में डाक वितरण के कारण पावती में विलंब जैसी समस्याएं जुड़ी होती है।
निक्षेप व्यवस्था का लक्ष्य (डिपॉजिटेरी सिस्टम) में लिखित दस्तावेज़ रहित शेयर व्यापार और विभौतिकीकृत (डीमैटीरियलाइज्ड) प्रकार में प्रतिभूतियों के निपटान को सक्षम बनाना है। यह भौतिक प्रतिभूतियों के साथ जुड़ी समस्याओं को दूर करती है। साथ ही तेज़ निपटान। स्थानांतरण को सक्षम बनाती है। और दलाली , डाक व्यय जैसे लेनदेन व्ययों में कटौती करती है। खरीददार द्वारा स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता है।
निक्षेप व्यवस्था कई प्रगत बाज़ारों में मौजूद है और बाज़ारों के एकीकरण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
निक्षेपागार संगठन है जहां निक्षेपागार सहभागी के माध्यम से किसी शेयरधारक के अनुरोध पर उनकी प्रतिभूतियां इलैक्ट्रॉनिक प्रकार में रखी जाती है।
यह निक्षेपागार द्वारा नियुक्त किया गया मध्यस्थ है जिसके पास निवेशक अपनी आवश्यकतानुसार प्रतिभूतियों के विभौतिकीकरण/पुन:भौतिकीकरण के लिए डीमैट खाता खोलता है और जहां उसकी प्रतिभूतियों के खाते का रख-रखाव बैंक खाते की भांति किया जाता है।
कंपनी या उसका पंजीयक और हस्तांतरण एजेंट इस प्रक्रिया की तीसरी कडी है। संबंधित डाटा के साथ भौतिक शेयरधारिता का संपूर्ण डाटा/विवरण कंपनी या उसके हस्तांतरण संबंधी क्रियाकलाप को कार्यान्वित करने वाले आर एंड टी एजेंट के पास उपलब्ध होता है। विभौतिकीकरण के लिए प्रस्तुत किए गए शेयर प्रमाणपत्रों को विभौतिकीकरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए जमाकर्ता साझेदार द्वारा कंपनी या उसके आर एंड टी एजेंट को भेजा जाता है।
निवेशक या शेयरधारक जिसके पास हितकारी स्वामी के रूप में कंपनी के शेयर्स हैं। निवेशक द्वारा एचपीसीएल सहित सभी विनिर्दिष्ट कंपनियों के शेयर्स का व्यापार SEBI निर्देशानुसार केवल डीमैट प्रकार में ही किया जा सकता है।
विभौतिकीकरण ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कंपनी या उसके पंजीयकों द्वारा निवेशक के भौतिक प्रमाणपत्र वापस ले लिए जाते है और प्रतिभूतियों की समान संख्या निवेशक के डीमैट खाते में इलैक्ट्रॉनिक रूप में क्रेडिट कर दी जाती है। अन्य शब्दों में, शेयरधारिता भौतिक प्रकार से इलैक्ट्रॉनिक प्रकार में परिवर्तित हो जाती है।
प्रतिभूतियों के विभौतिकीकरण के लिए सर्वप्रथम निवेशक को एक जमाकर्ता साझेदार (डीपी) के साथ खाता खोलना पड़ता है और फिर संगत प्रमाण-पत्रों के साथ विनिर्दिष्ट प्रपत्र मे प्रतिभूतियों के विभौतिकीकरण के लिए अनुरोध प्रस्तुत करना पड़ता है। डीमैट अनुरोध और प्रमाणपत्र डीपी द्वारा कंपनी या उसके पंजीयक को अग्रेषित किए जाते है जो उचित सत्यापन के बाद विभौतिकीकरण की पुष्टि करेंगे और डीमैट प्रकार में आवेदित शेयर क्रेडिट हो जाएंगे। तथापि कंपनी या उसके पंजीयक के रिकार्ड में जमाकर्ता का खाता क्रेडिट होगा चूंकि निवेशक की ओर से जमाकर्ता ही शेयर धारण किए हुए है और इसके साथ निवेशक का नाम शेयर के हितकारी स्वामी के रूप में प्रदर्शित होगा।
संपूर्ण विभौतिकीकरण प्रक्रिया जमाकर्ता साझेदार द्वारा डीमैट अनुरोध प्राप्त करने की तारीख से 21 दिनों की अवधि के अंदर पूरी की जानी है।
कंपनी द्वारा लाभांश वितरण या बोनस शेयर जारी करने जैसी निगमित कार्रवाई होनेपर, कंपनी BENPOS नामक हितकारी स्थिति विवरण के माध्यम से, जमाकर्ता से विभौतिकीकृत शेयरों की शेयरधारिता स्थिति प्राप्त करेगा, तदोपर्यंत उसी आधार पर शेयरधारकों को निगमित हितलाभ प्रदान करेगी।
पुन:भौतिकीकरण इलैक्ट्रॉनिक शेयरधारिता को वापस भौतिक शेयरधारिता में बदलने की प्रक्रिया है। जमाकर्ता साझेदार को विनिर्दिष्ट प्रपत्र में पुन:भौतिकीकरण के लिए अनुरोध दिया जाता है, जो उसे निक्षेपागार को अग्रेषित करता है। जमाकर्ता यह सत्यापित करता है कि निवेशक के पास आवश्यक प्रतिभूति शेष है और तदोपरांत कंपनी या उसके पंजीयक को इसकी सूचना देता है, जो संगत प्रमाण-पत्र मुद्रित करके उसे निवेशक को प्रेषित करते है।
पुन:भौतिकीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया रीमैट अनुरोध प्राप्त होने की तारीख के 30 दिनों के अवधि के अंदर पूरी की जानी है।
डीपी निम्न मदों के लिए प्रभार प्राप्त करते हैं:
निम्न विभिन्न घटकों के मूल्यांकन के बाद ही निवेशकों द्वारा डीपी का चयन किया जाना चाहिए:
शेयर्स के विभौतिकीकरण के लिए एचपीसीएल ने नेशनल सेक्यूरिटीज़ डिपॉजिटरी लिमिटेड(NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया)लिमिटेड (CDSL)के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एचपीसीएल के शेयरों की डीमैट प्रकार मे ट्रेडिंग 18.9.1997 से आरंभ हुई। वारंट कन्वर्शन शेयर्स के विभौतिकीकरण के लिए कनेक्टिविटी 21 अगस्त 1998 से स्थापित की गई। संस्थानों द्वारा 1.6.98 से और 15.2.99 से सभी निवेशकों द्वारा अनिवार्य रूप में डीमैट प्रकार मे ट्रेडिंग के संबंध मे SEBI की उद्घोषणा के बाद निक्षेप व्यवस्था का महत्व और अधिक हो गया है।