मुंबई रिफाइनरी
7.5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) की स्थापित क्षमता के साथ, एचपीसीएल की मुंबई रिफाइनरी देश की सबसे जटिल रिफाइनरी में से एक है। वर्ष 1954 में पूर्ववर्ती एस्सो द्वारा कमीशन की गयी यह बहुमुखी रिफाइनरी भारत की आधुनिक रिफाइनरियों में सर्वप्रथम है। मुंबई रिफाइनरी परिसर 321 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें फ्यूल रिफाइनरी के साथ-साथ ल्यूब रिफाइनरी भी शामिल है।
यह रिफाइनरी शुरुआत में 1.25 एमएमटीपीए की क्रूड प्रोसेसिंग क्षमता के साथ ईंधन रिफाइनरी के रूप में शुरू की गयी थी। पिछले कुछ वर्षों में मुंबई रिफाइनरी के विस्तार ने इसकी क्षमता 7.5 एमएमटीपीए कर दी है।
वर्ष 1974 में भारत सरकार ने भारत में एस्सो के परिचालन को अपने हाथ में लिया और एचपीसीएल को सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम के रूप में बनाया। मुंबई रिफाइनरी को बीएस VI अनुकूल परिवहन ईंधन के उत्पादन के लिए अपग्रेड किया गया था।
विशाख रिफाइनरी
विशाखापत्तनम रिफाइनरी को वर्ष 1956 में कॅलटेक्स ऑयल रिफाइनिंग इंडिया लिमिटेड के रूप में कमीशन किया गया था। यह भारत के पूर्वी समुद्रतट पर पहली तेल रिफाइनरी और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में पहला प्रमुख उद्योग था। सीओआरआईएल को भारत सरकार ने अपने अधिकार में लिया और वर्ष 1978 में हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के साथ विलय कर दिया गया।
यह 0.65 एमएमटीपीए की एक कम संस्थापित क्षमता के साथ शुरू हुई रिफाइनरी को कई चरणों में 8.3 एमएमटीपीए तक विस्तारित किया गया। विशाख रिफाइनरी एक ईंधन आधारित रिफाइनरी है जो पेट्रोल, डीजल और केरोसिन जैसे बड़े पैमाने पर खपत के प्रमुख उत्पाद बनाती है। रिफाइनरी में दुनिया भर में खरीदे गए कच्चे तेल की एक विस्तृत श्रृंखला और गैर-बिटुमिन से बिटुमिन तक एवं चिकनाई वाले कच्चे तेल पर प्रोसेस करने का लचीलापन है।
रिफाइनरी के पास ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित कैप्टिव पावर प्लांट है और उसने अपनी सभी गतिविधियों में ऊर्जा संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की नीति का पालन किया है। विशाख रिफाइनरी को बीएस IV अनुकूल परिवहन ईंधन के उत्पादन के लिए अपग्रेड किया गया था।
ल्यूब रिफाइनरी
ल्यूब रिफाइनरी को वर्ष 1969 में एस्सो और भारत सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में कमीशन किया गया था जिसमें 1,65,000 टन ल्यूब्रिकेटिंग ऑयल बेस स्टॉक्स की क्षमता थी। इसके बाद, संयुक्त उद्यम, ल्यूब इंडिया लिमिटेड को भारत सरकार द्वारा ले लिया गया और एचपीसीएल के साथ उसका विलय कर दिया गया। ल्यूब ऑयल बेस स्टॉक्स की और अधिक मांग बढ़ने के कारण वर्ष 1977 में एक दूसरी वैक्यूम डिस्टिलेशन यूनिट शुरू की गई। एक और डी-बॉटलनेकिंग और विस्तार ने प्रति वर्ष 4,28,000 टन क्षमता की वृद्धि की। आज यह भारत में सबसे बड़ी ल्यूब ऑयल रिफाइनरी है जो देश में संस्थापित क्षमता का 40% से अधिक है।